दुर-दुर बैठोगे तो कोरोना वायरस नहीं फैलेगा
मंगल प्रवेश में उमड़े श्रद्धालु
नीमच@ मालवा आजतक
पुण्य कर्म बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है । माता-पिता से बढ़कर संसार में कोई नहीं है इनको नहीं भूलना चाहिए । जीवन को बहुत आनंद के साथ जीना चाहिए । क्योंकि आनंदयुक्त जीवन का ही कल्याण होता है । संसार की सारी दौलत सुख वैभव सभी पुण्य कम्र से ही मिलता है । इसलिए सदैव पुण्य परमार्थ दुखियों की सेवा करना चाहिए । यह बात पुष्पगिरी प्रणेता आचार्य श्री 108 पुष्पदंत सागर महाराज के शिष्य आचार्य श्री 108 प्रमुख सागर महाराज ने कही वे 17 वर्ष बाद पहली बार नीमच आगमन पर शुक्रवार 20 मार्च को सुबह मंगल प्रवेश के बाद दिगम्बर जैन मांगलिक भवन सभागार में आयोजित धर्मसभा में बोल रहे थे ।
उन्होने कहा कि दुर-दुर बैठोगे तो कोरोना वायरस नहीं फैलेगा । नीमच शहर में पहला प्रवचन यही से प्रारम्भ किया था यह कर्म भुमि है । सभी हमारे है हम सभी परमात्मा के प्रति नरम रहे । भगवान 14 वर्ष बाद अयोध्या आये तो दिपावली मनाई थी । आज सभी के दिलो में दिपावली रहे । जीवन कैसे बदलाव लाता है । 2003 में नीमच आया था अभी तो आया था ऐसा लग रहा है । भगवान राम तो अपना राज लेने आये थे में तो आपको आपका राज वैभव विकास याद दिलाने आया था । परिवर्तन हुआ मंदिर, मकान, परिवार बढ़ गए तो संत क्यों नहीं बढ़े ।
दिगम्बर जैन मांगलिक भवन का मैदान भी बड़ा हो गया हमें अपने माता-पिता को नही भूलना चाहिए । नीमच से अद्भूत आर्शीवाद की शक्ति मिली कि 22 राज्यों में धर्म की अलख जगाने का सौभाग्य मिला और 40 हजार कि.मी. की पदयात्रा पुरी हुई । पाकिस्तान सीमा तक पहूॅचे । सैनिकों से मिले फिर वापस घर लौट आया हूॅं । व्यापार, परिवार, मकान बढ़ाया । आप धर्म, कर्म करो कोरोना नहीं आयेगा । शरीर मिलना पुण्य की बदौलत मिलता है संसार की सारी दौलत पुण्य से ही मिलती है । पहला सुख निरोगी काया, दुसरा सुख में माया, तीसरा सुख सुलक्षणा नारी, चैथा सुख पुत्र आज्ञाकारी होना चाहिए, मोदीजी ने कहा कि जनता कफ्यु लगाओ । हमें अपने मन पर संयम और नियम का कफ्यु लगाना है । हम अपने मन पर नियंत्रण संयम रखना है हम कोरोना वाले लोगों के शीघ्र ठीक होने के लिए सभी मिलकर घर-घर में सामुहिक प्रार्थना करे । मन, वचन, शुद्धि से संतों को शुद्ध आहार देना चाहिए । सभी शुभ भाव बनाएं ।
मुनिश्री ने ओम नमो अराध्ये करोनो सर्वप्राणी रक्ष रक्ष करोना ओम फट फट स्वाहा... मंत्र का उच्चारण सभी घरो में हवन के साथ होना चाहिए । जीवन को बहुत आनंद से भरे हम एवं दुसरे की टांग नहीं खींचे । मंदिर एक है यह नीमच शहर की सबसे बड़ी उपलब्धि है । टांग नही हाथ खींचे लेकिन अभी कोरोना के चलते दूर से रहे । संतों की वाणी के अनुसार लोभ नहीं करना चाहिए । तीन दिन धर्म से जुड़े तो भव सागर से तर जायेंगे । करोना वायरस से बचाव की सभी हिदायतों का ध्यान रखे । धर्म लाभ बिना जीवन सार्थक सिद्ध नहीं होगा । एलक 105 मुनि प्रभार सागर महाराज ने नमोकार मंत्र का उच्चारण करने के बाद धर्मसभा को सम्बोधित करते हुवे कहा कि संत चलते फिरते तीर्थ के समान होते है वे नदी के पानी की तरह बहते रहते हे । जीवन में नियम संयम, वृत का पालन धर्म की राह पर चलना चाहिए धर्म कठिन नहीं सरल है जब धर्म से जुड़ते है तो अपने आप सरल हो जाता है ।
जिनवाणी की सामुहिक स्तुति की गई । धर्मसभा में ऐलक श्री 105 प्रभाकर सागर महाराज, छुल्लक श्री 105 पुकार सागर, परमार्थ सागर, छुल्लिका श्री 105 प्रतिक्षा श्रीमाताजी, 105 श्री प्रीतिश्री माताजी, 105 प्रक्षा श्रीमाताजी का सानिध्य भी मिला । मुनिश्री के चरणों में निर्मल कुमार विनायका जम्बुकुमार जैन, महिला मण्डल अध्यक्ष संगीता सरावगी, सचिव अरूणा विनायका, सोश्यल ग्रुप मेन अध्यक्ष सुनिल शाह, जिनागम ग्रुप अध्यक्ष विनित पाटनी आदि ने श्रीफल अर्पित कर आर्शीवाद ग्रहण किया । नवीन विनायका ने करते है हम तपस्या बहुत कठोर... धार्मिक स्तवन प्रस्तुत कर आत्मिय अगवानी की । दीप प्रज्जवलन, मुनिपाद प्रक्षालन, शास्त्र भेंट सहित विविध धार्मिक चढ़ावे की बोलिया लगाई गई ।
जमुनिया से नीमच विहार में मनोज विनायका, नंदु सर्राफ, अनिल शाह जैन, सुनिल शाह, तनसुख जैन, शिखर सरावगी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य समाजजन उपस्थित थे । शाम 4 बजे महाराजश्री ने जिज्ञासु श्रद्धालुओं की धार्मिक तत्व चर्चा के साथ सामान्य ज्ञान के विभिन्न प्रश्नों का उत्तर दिया । रात्रि 8 बजे गुरूध्यान, 9 बजे वयावृति आयोजित की गई । महाराजश्री शुक्रवार सुबह 8 बजे जमुनिया से विहार कर 9 बजे बारादरी पहूॅचे जहाॅं समाजजनों ने पलक पावडे बिछाकर भव्य अगवानी की ।