वो प्रधानमंत्री के रूप में किसी राजनेता का भाषण था या फिर किसी धर्म गुरू का प्रवचन !
नीमच @आशीष सेठी /मालवा आजतक
गुरूवार को अपून के प्रधानमंत्री मोदीजी का विश्वव्यापी त्रासदी कोरोना वायरस पर देश वासियोंे के नाम संबोधन को लेकर लोगो में चर्चा बनी है ओर कहा जा रहा है, उनका ये उद्बोधन एक अलग अंदाज लिये हुवे था ! लोग कह रहे है,न कोई उत्तेजना थी न तीखे ओर तल्खी भरे प्रहार ! ऐसा लग रहा था, मानो कोई आला दरजे का आध्यात्मिक धर्म गुरू बड़े इत्मिनान से अपने भक्तों को समझा रहा है ! ये उनका अनुठा अंदाज लोगो को भाया है ओर उनके दिल की गहराई तक छूता नजर आ रहा है ! त्रासदी के इस दौर में उनकी अंतिम आदमी के प्रति चिंता ने लोगो को सोचने पर मजबूर कर दिया है ! रविवार को जनता कफ्र्यू में क्या किया जाना है ये सब जिस सहजता के साथ मोदीजी ने बोला है वो लोगो के गले उतरा है ! दुकानें ,संस्थान बंद करने ओर उसमें काम करने वाले लोगो का वेतन न काटने का आग्रह ओर सड़क पर काम करने वाले फेरी वाले, ठेले, आटो वाले, मजदूर ओर इस तरह के अन्य लोगों के प्रति उनकी संवेदना भरी ये अपील की जब वे त्रासदी के इस दौर में जन सामान्य की सेवा करते नजर आते है तब शाम को पांच बजे सायरन बजने के साथ उनकी सेवाओं के प्रति धन्यवाद दिये जाने का उनका ये सुझाव कि अपनी गेलरी/बालकनी में खड़े होकर थाली पिटकर या फिर ताली बजाकर दिया जाये लोगो को उपर से नीचे तक अभिभूत करता नजर आया है ! त्रासदी के इस वक्त में लोगों को उनकी समझाईश एक धर्मगुरू की तरह नजर आ रही थी न की किसी प्रधानमंत्री के रूप में ! उनका ये बदला रूप लोगों को भा रहा है ओर उसकी जमकर चर्चा भी हो रही है ! महिलाओं में भी उनके इस उदबोधन की खूब चर्चा बनी है !