मालवा आजतक @ खामोश खबर
नये वित्तीय वर्ष के लिए जिला मूल्यांकन समिति ने अपनी बैठक में ये तय कर लिया है कि गाईडलाईन जो मौजूदा है वो यथावत बनी रहेगी ! हालांकि ये भी सामने आया कि नीमच/जावद ओर मनासा में पचास से ज्यादा ऐसे भी सामने आये है कि उनमे गाइडलाईन की दरों से भी अधिक की राशि का पंजीयन हुआ है ! पर, इसे अपवाद माना जाकर दरों में बढोतरी को नकारा गया है ! इसके चलते प्रापर्ट बाजार में प्रसन्नता महसूस की जाकर इसे कारोबार के लिए अच्छा संकेत माना गया है ! पर अब लग रहा है, कम से कम नीमच शहर तो गाईडलाइन की हदे तोडता नजर आ रहा है ! रामभरोसे के प्लाट का सौदा ओर फिर उसके टूट जाने की कथा कहानी तो ये ही कुछ ऐसा बताती नजर आ रही है ! 36 नंबर स्क ीम में रामभरोसे का साढे बत्तीस सो वर्ग फीट का ढिल्लन के प्लाट के आसपास का भूखंड अभी शहर में चर्चाओं में बना है ! अपून के निर्वतमान हो गये अध्यक्ष्ा पप्पूजी ने कहा, पालिका ने नियम विरूद्ध जाकर उसका पंजीयन कराया है ! 65 लाख के इस भूखंड की गाईडलाइन दो हजार रूपये वर्गफीट की है ! इसी मान से पंजीयन शुल्क जमा हुआ है ! ऊपर से आदेश आया था पालिका को तुरंत रजिस्टृी करवा दो ! पालिका ने ऐसा ही किया ! पप्पूजी को पता ही नही चला ओर पंजीयन हो गया ! चार जनवरी का पंजीयन हुआ ओर उसी वक्त से बाजार में सौदा आ गया ! एक ने छ: हजार रूपये में वो सोदा तत्काल लपक लिया ! अभी उसके पंजीयन की समय सीमा भी पूरी नहीं हुई थी कि छ: हजार वाले ने उसे आठ हजार रूपये में उतार दिया ! याने गाईड लाइन से तीन गुना अधिक रेट पर माल बिक गया ! अब प्लाट की कथा कहानी अखबारों में गूंजने लगी तो आठ हजार वाला लेवाल पिछे हट गया ! कहने लगा, विवादित मामला है ! ऐसे मामले का माल तो चार हजार में भी बुरा है ! सौदा तोडने वाला भी प्रभावी है ! सो, उससे कोई माथा फोड़ा करने को भी तैयार नहीं है ! बताते है, अब वो रामभरोसे का भूखंड छ: हजार वाले के गले में फांस की तरह लटक गया है ओर वो परेशान/बेचैन है ! पर, समूचे खेल में ये तो साबित हो गया कि प्रापर्ट का कारोबार नीमच में फिर से फलने फुलने लगा है ओर गाईड लाइन छोटी पडने लगी है ! जानकार लोग तो ये भी कह रहे है, भले ही विवादों के चलते रामभरोसे का सौदा आठ हजार वाला टूट गया है पर इसका मतलब कतई ये नहीं है कि वहां उस जगह पर ये भाव नहीं है ! हकीकत में तो अब वहां दस से बारह हजार रूपये वर्ग फीट के भाव बन गये है ओर कलेक्टृेट के सामने तो पन्द्रह हजार के भाव भी कम पड़ रहे है !