राजस्थान के मशहूर दाल बाफले को अपने भोजन का बनाये हिस्सा, जानिए बनाने की विधि


नीमच@मालवा आजतक 


दाल बाफले  राजस्थान  का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है। वाफले एक प्रकार की बाटी ही है, जो पहले उबाल कर घी में तली जाती है। वाफले बनाने के लिए दो कप गेहूं का आटा लें। उसमें चार चम्मच देसी घी का मोयन डालें। चुटकी भर खाने का सोडा डालें और सारी चीजों को अच्छी तरह मसल कर मिला लें। अब गुनगुने पानी का छींटा देते हुए कड़ा आटा गूंथ लें। ध्यान रहे कि आटा पतला नहीं होना चाहिए, नहीं तो वाफले नरम नहीं बनेंगे। इस गुंथे हुए आटे को पंद्रह मिनट के लिए ढंक कर आराम करने के लिए छोड़ दें।


इसे साथ खाई जाने वाली दाल मुख्य रूप से चना और मूंग की बनती है। इसके लिए आधी मात्रा चना दाल और एक मात्रा छिलके वाली मूंग दाल को धोकर दो-तीन घंटे के लिए भिगो कर रख दें। फिर एक कड़ाही में हल्दी, नमक और हींग डाल कर पकने के लिए रख दें। करीब आधे घंटे में पक कर दाल तैयार हो जाती है। इसे कलछी या फिर मथानी से अच्छी तरह मसल लें। फिर एक कड़ाही में दो-तीन चम्मच देसी घी में जीरा, अजवाइन, हींग, लहसुन और एक बारीक कटे टमाटर का तड़का लगा कर दाल को छौंक दें। उसमें एक चम्मच लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, और एक चम्मच गरम मसाला डाल कर थोड़ी देर पकाएं।


अब वाफले बनाने के लिए गुंथे हुए आंटे की छोटी-छोटी लोइयां लेकर बाटी के आकार में थोड़ा चपटा आकार दें। एक भगोने में पानी उबलने रख दें। पानी उबलने लगे, तो उसमें आटे की लोइयों को डाल दें। जब ये वाफले पक कर पानी की सतह पर तैरने लगें, उनमें कहीं-कहीं दरार और ऊपरी सतह पर बुलबुले जैसे दाने उभरे दिखें तो समझें कि वाफले पक कर तैयार हैं। आंच बंद कर दें और वाफलों को निकाल कर ठंडा होने दें। अब एक कड़ाही में भरपूर देसी घी गरम करें। उसमें वाफलों को डाल कर सुनहरा होने तक तल लें। दाल के साथ गरमा-गरम वाफले परोसें।