पहले शमशान में चढ़ाते रंग फिर खेलते होली

नीमच/गिरजा शंकर परिहार@मालवा आजतक 

 

नीमच में कई वर्षों से एक परम्परा चली  आरही है की नीमच में पहले शमशान में जाते हैं और उनकी समाधि पर या जहाँ दांग किया हो वहा अपने पूर्वजों को रंग गुलाल लगाते है और फिर घर आकर होली खेलते हैं 

 

बतादे की नीमच शमशान में सब अपने परिवार के सात जाते हैं जिसमे महिला व परुष, व बच्चे भी जाते हैं और अपने पूर्वजों को नारियल,मिठाई, अगरबत्ती व धूप से पूजा करते हैं व वहा शमशान में पूर्वजो को रंग गुलाल लगाने के बाद फिर होली खेलते हैं


नीमच में शमशान में माता जी व भेरू जी की भी मूर्ति हैं यह बहुत चमत्कारी है होली पर यहाँ पर भी महिला पुरूष व बच्चे माता जी व भेरू जी को रंग गुलाल लगाते हैं फिर पूर्वजो को रंग गुलाल लगाते हैं होली पर शमशान में ऐसा लगता है मानो कोई मेला लग रहा है 

 

 नीमच शमशान में कई समाज के लोग सुबह ब्रह्म मोहरत में भी आते हैं व जल्दी अपने पूर्वजो को रंग गुलाल लगा कर फिर होली खेलते हैं यह परम्परा कई वर्षों से चली आरही है

 

नीमच शमशान में होली ही नही राखी, दिवाली पर भी यहाँ आते हैं पहले अपने पूर्वजो को राखी व दिवाली पर पूजा पाठ कर फिर त्योहार मनाते हैं ऐसी मान्यता है की पहले शमशान में पूर्वजी याद करके फिर त्योहार मनानेसे पूर्वज खुश होते है