मन्दसौर @मालवा आजतक
जीवन मे चमत्कार को नमस्कार नही करे वरन नमस्कार ऐसा करे कि चमत्कार हो जाए ।
यहां 2 मार्च से 10 मार्च 1008 श्री शान्तिनाथ जिनालय तार बंगला मन्दिर में श्री सिध्द चक्र मंडल विधान एव विश्व शांति महायज्ञ पूजन के अवसर पर धर्म सभा मे आचार्य 108 श्री पुष्पदन्त सागरजी महाराज के शिष्य आचार्य 108 श्री प्रमुख सागरजी महाराज ने अपने प्रवचन के दौरान उक्त विचार व्यक्त किये।आपने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को जीवन मे चार कार्य अवश्य करना चाहिए। प्रतिवर्ष सिध्द क्षेत्र की यात्रा करना ,जीवन मे एकबार सिध्द चक्र मंडल विधान की पूजन ,10 उपवास की तपस्या और मन्दिर में मूर्ति प्रतिष्ठित कराना चाहिए। आचार्य श्री ने कहा कि पुन्यवानो की संगति करे । पुण्य का बेलेंश बढ़ाए। मैना सुंदरी -श्रीपाल की कथा बताते हुए कहा कि सिध्द भक्ति के कारण श्रीपाल ने धवल सेठ के जहाज चला दिये इससे प्रसन्न होकर उन्हें अपना धर्म पुत्र बना लिया।
इस अवसर पर आचार्य 108 श्री पुष्पदन्त सागरजी के शिष्य आचार्य 108 श्री प्रतीक सागरजी महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि संसार मे प्रत्येक जीव भाग्य लेकर पैदा होता है किंतु मनुष्य भाग्य को परमात्मा बनकर सौभाग्य में बदल सकता है।इसे अंग्रेजी में लक कहते है। इस लक का प्रत्येक शब्द अपना अलग महत्व रखता है। एल का मतलब मनुष्य की अपनी लाइफ स्टाईल।इसमें जीवन जीने का तरीका बदलना चाहिए। यू -अंडरस्टैंडिंग से आशय परिवार एव समाज मे एक दूसरे के प्रति समझ होनी चाहिए।सी -कैरेक्टर से आशय मनुष्य को चरित्रवान होना चाहिए। के -से आशय काईनंड़नेश से आशय प्राणी मात्र के प्रति करुणा भाव हो। आचार्य श्री ने कहा कि जिस व्यक्ति में ये चार गुण होते है वह भाग्यशाली ही नही सौभाग्यशाली होता है।
प्रारभ में अचार्य 108 श्री पुष्पदन्त सागरजी के चित्र का अनावरण व दीप प्रज्वलन डॉ एस एम जैन, श्री अनन्तलाल भोलिया ने किया। पाद प्रक्षालन कैलाश ठाकुरलाल ने किया शास्त्र भेंट श्री अनन्तलाल जेन ने किया। मंगला चरण बबीता पाटनी ने प्रस्तुत किया। श्रीफल भेंट श्री संदीप जैन, श्री विनोद गांधी,श्री अरविंद मिंडा ने किया।