जावद@दिलीप बांगड/मालवा आजतक
बेटा/बेटी जब बड़े हो जाते है तो माता/पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगती है। फिर तलाश शुरू की जाती है अच्छे वर वधु की, परंतु आज के इस दौर में सगाई संबंध होना टेढ़ी खीर हो गया है। इसके लिए मां बाप को कई जतन करने पड़ते है, मन्दिर, देवरे धोगने पड़ते है, देवी देवताओं को मनाते है, मन्नतें करते है ताकि समय पर बेटा बेटी के हाथ पीले हो जाए।
अगर आप भी अपने बेटे/बेटी की शादी के लिए परेशान है तो इसका समाधान इन दिनों जावद में हो सकता है। हम बात कर रहे है बिल्लम बावजी की। जो कि सिर्फ रंगपंचमी से रंगतेरस (9 दिनों) तक ही दर्शन देते हैं और कुंवारे लोगों की मनोकामना पूर्ण करते है।
जिला मुख्यालय नीमच से लगभग 17 किलोमीटर दूर तहसील मुख्यालय जावद की पुरानी धानमंडी में कुंवारो के देवता बिल्लम बावजी की वर्षो पुरानी पाषाण की चल मूर्ति विराजित है। ऐसा माना जाता है कि रंगपंचमी से रंगतेरस तक इन 9 दिनों में इनके दर्शन एवं पूजा करने से कुंवारों की मनोकामना पूर्ण होती है। धानमंडी व्यापारी राजेंद्र बोहरा, प्रवीण सोनी ने बताया कि कुंवारो के देवता बिल्लम बावजी के यहां इन 9 दिनों मे कई शहरों व गांवो से कुंवारे लड़के लड़कियां व उनके मां बाप आते है। बिल्लम बावजी के दर्शन पूजा करके शादी हो जाने की मन्नत मांगते है। जिनकी शादी हो जाती है वह वापस जोड़े से यहां आकर मन्नत पुरी करते हैं। कुंवारो के देवता बिल्लम बावजी के यहां सिर्फ एक मिठा पान, नारियल, अगरबत्ती ही चढ़ाई जाती है।
इस वर्ष भी शनिवार रंगपंचमी को धानमंडी के व्यापारियों ने बिल्लम बावजी की प्रतिमा को स्नान कराकर सिंदूर, मारीपन्ना से श्रंगार कर धूप लगाकर उन्हें नियत स्थान पर विराजित किया। इस मौके पर बंशीलाल सोनी, सागरमल बोथरा, नेमीचंद खिमेसरा, राजेंद्र बोहरा, अशोक अग्रवाल, रमेश मेहरा, प्रवीण सोनी, राजेश चांडक, नारायण सोमानी, शेलेन्द्र सोनी, दिनेश सागर, मनीष पाटनी, मंगल बेरागी, गोतम रांका, राम सोनी, मुकेश सारस्वत, रमेश तिवारी, वरूण गोयल, नवीन पुरोहित, कन्हैयालाल मेघवाल, शुभम नागोरा, मनोज बाफना, कुलदीप बोहरा आदी व्यापारीगण उपस्थित थे।