नईदिल्ली @मालवा आजतक
साल 2018 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के तीनों बड़े कांग्रेस नेता दिग्गविजय सिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया एकजुट होकर लड़े थे, जिसका पार्टी को फायदा भी हुआ था। चुनाव के बीच में ही अचानक से ज्योतिरादित्य लाइम लाइट से बाहर होने लगे थे। रिजल्ट आने के बाद ज्योतिरादित्य चाहते थे कि उन्हें राज्य की कमान सौंपी जाए, लेकिन कमलनाथ ने दिग्गविजय को साथ लेकर ऐसा होने नहीं दिया।
इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव नजदीक होने के चलते ज्योतिरादित्य को केंद्र की राजनीति में भेज दिया गया। ज्योतिरादित्य को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन चुनाव परिणाम कांग्रेस के अनुमान के बिल्कुल उलट आई। ज्योतिरादित्य खुद अपनी पारंपरिक सीट गुना हार गए और यूपी में तो पार्टी की भारी दुर्गति हुई। इस हार के बाद ज्योतिरादित्य राजनीतिक रूप से बेरोजगार हो गए हैं।
दूसरी तरफ कमलनाथ राज्य में सरकार चला रहे हैं। उन्हें दिग्विजय सिंह के खेमे का भी सहयोग मिला हुआ है। ऐसे में ज्योतिरादित्य को लग रहा है कि पार्टी में उनकी उपेक्षा हो रही है।
सूत्र बताते हैं कि राजनीतिक जमीन बचाए रखने के लिए ज्योतिरादित्य या तो एमपी कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष का पद चाहते हैं या आगामी राज्यसभा चुनाव में एमपी कोटे से अपने लिए एक सीट। जबकि कमलनाथ उन्हें दोनों में से कुछ भी देने के मूड में नहीं हैं। दरअसल, अगर ज्योतिरादित्य को अगर राज्यसभा की सीट दी जाती है तो दिग्विजय सिंह खाली हो जाएंगे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष का पद देने पर राज्य में पार्टी के ऊपर से कमलनाथ की पकड़ ढीली हो जाएगी। इन्हीं मांगों को मनवाने के लिए ज्योतिरादित्य अपने समर्थक विधायकों के साथ मिलकर कमलनाथ सरकार पर दबाव बनाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।
क्या बीजेपी से मिलकर सत्ता में आएंगे सिंधिया
सूत्रों के अनुसार खबर आ रही है कि ज्योतिरादित्य सत्ता के लिए बीजेपी से भी हाथ मिला सकते हैं। खबर है कि वह सोमवार देर शाम वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिल सकते हैं। सभी जानते हैं कि ज्योतिरादित्य की बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी में नामी चेहरा हैं।