दोनो आचार्यो का हुआ आत्मीय मिलन


मंदसौर@मालवा आजतक


आचार्य 108 श्री पुष्पदन्त सागरजी के शिष्य आचार्य 108 श्री प्रतीक सागरजी व आचार्य 108 श्री प्रमुख सागरजी का आज धार्मिक नगरी मन्दसौर की पवित्र धरा पर 10 वर्ष बाद आत्मीय मिलन हुआ। इस आत्मीय मिलन के अवसर पर दोनो आचार्य ने एक दूसरे के गले मिलकर गुरुभाई का परिचय दिया।  


इस अवसर पर 1008 श्री शान्तिनाथ जिनालय तार बंगला मन्दिर में धर्मसभा में अपने प्रवचन में आचार्य 108 श्री प्रतीक सागरजी ने कहा कि जीवन में आत्मीय संबंध महत्वपूर्ण होते हैं संत का संत से मिलन दिल से दिल का मिलन होता है जो गुरु भाईयों का मिलन देखने वाले बड़े पूणयशाली होते हैं हमारे बीच आज भी आत्मीयता है आपके अनुभव लूंगा हम दोनों का मिलन दस साल के बाद हो रहा है       


आचार्य 108 श्री प्रमुख सागरजी ने कहा कि एक और एक दो नहीं ग्यारह है ।आज मन्दसौर का तार बंगला इलाहाबाद का संगम हो गया है। जो संत मिलना जानते हैं वे समाज को जोड़ते हैं जो संत को संत से जोड़ते हैं वे बड़े पूणयशाली होते हैं।


आचार्य श्री प्रतीक सागरजी का आज शाम मन्दसौर आगमन हुआ। आचार्य श्री की समाजजनों ने बेंड बाजो के साथ भव्य अगवानी की ।आचार्य श्री प्रमुख सागरजी के मार्गदर्शन में मन्दसौर में तार बंगला मन्दिर में श्री सिध्द चक्र मंडल विधान की पूजा  चल रही है। आचार्य प्रतीक सागरजी के मंगल प्रवेश पर आचार्य श्री प्रमुख सागरजी गांधी चौराहे तक अगवानी करने गये जहा दोनो आचार्यो का आत्मीय मिलन का दृश्य देख लोग भाव विभोर हो गये अगवानी के अवसर पर समाज के अनेक पुरूष व महिलाएं थी। यहां विनोद गांधी के संस्थान पर दोनो आचार्यो का पाद प्रक्षालन किया गया। यहां से जुलूस तार बंगला मन्दिर पहुचा जहा जुलूस धर्म सभा मे बदल गया। कार्यक्रम का संचालन श्री अनिल जैन ने किया।